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एनसीआरटीसी ने आरआरटीएस नेटवर्क को सार्वजनिक परिवहन के अन्य माध्यमों से निर्बाध रूप से जोड़ने के लिए मल्टी-मोडल-इंटीग्रेशन की पहल की है। यह हमारे ‘कम्यूटर फर्स्ट’ दृष्टिकोण के अनुरूप है जिसमें, जहां भी संभव हो, आरआरटीएस स्टेशनों को भारतीय रेलवे, मेट्रो स्टेशनों, हवाई अड्डों और बस डिपो के साथ एकीकृत किया जाता है।
बड़े पैमाने पर सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों के मल्टी-मोडल-एकीकरण से इन अत्यधिक पूंजी-गहन परियोजनाओं के लिए नेटवर्क का एक विशाल नेटवर्क, बेहतर सवारता और दीर्घकालिक स्थिरता का निर्माण होगा। एनसीआरटीसी यह एकीकरण वॉकवे, लिफ्ट, एस्केलेटर, फुट ओवर ब्रिज और अंडरपास के माध्यम से प्रदान कर रहा है।
जैसे यातायात के तीव्र, सुविधाजनक साधन से इस पूरे क्षेत्र में आवागमन और विकास की पूरी पद्धति में बदलाव होने की संभावना है। यातायात में कम समय लगने से इस क्षेत्र की कुल उत्पादकता बढ़ेगी, जिसके परिणामस्वरूप इस क्षेत्र की कुल आर्थिक गतिविधियों में सुधार लाना संभव होगा।
आवागमन सुगम बनने से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि होगी, जिससे इस क्षेत्र का संतुलित आर्थिक विकास होगा। इससे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के राज्यों में और अधिक शहरों और क़स्बों के विकास में मदद मिलेगी। इससे बहुकेंद्रीय वेिकास का मार्ग प्रशस्त होने के साथ ही इस इलाक़े में और अधिक समान रूप से विकास की संभावनाओं के द्वार खुलेंगे।
आर आर टी एस से लोगों के लिए नये बाजारों और अवसरों के द्वार खुलेंगे क्योंकि आज जिन दूरियों तक आनाजाना लोगों को संभव नहीं लगता, तब संभव हो सकेगा। इससे वर्तमान यात्रियों की यात्रा परिस्थितियाँ सुधरेंगी। आवागमन की तीव्र गति के कारण लोगों को स्वास्थ्य और शिक्षा की बेहतर सुविधाएँ मिलेंगी। पर्यटन करना न केवल अधिक आनंददायी बल्कि अधिक सुविधायुक्त होगा।
आर आर टी एस के रूप में आवागमन का अधिक सुगम साधन मिलने से लोग अपना समय अधिक उत्पादक कार्यों में ख़र्च कर सकेंगे। सस्ती यात्रा के कारण उनकी बचत बढ़ेगी,जिससे उनके पास व्यय करने योग्य आय अधिक होगी और उनका जीवन स्तर सुधरेगा।
थल मार्ग से परिवहन का सबसे बेहतर उपाय रेल- परिवहन है। परिवहन के अन्य साधनों को छोड़कर त्वरित रेल पद्धति अपनाने से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में परिवहन पर ऊर्जा बचेगी। इससे न केवल ईंधन ख़र्च घटेगा बल्कि विदेशों से तेल के आयात पर देश की निर्भरता भी कम होगी।
आरआरटीएस का कार्यान्वयन दिल्ली और एनसीआर में वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए ‘व्यापक कार्य योजना’ (सीएपी) का हिस्सा है और ‘दिल्ली में भीड़भाड़ कम करने पर उच्चाधिकार प्राप्त समिति’ की सिफारिश का हिस्सा है। छोटे पदचिह्न और उच्च-थ्रूपुट के साथ इस परिवर्तनकारी क्षेत्रीय पारगमन प्रणाली से क्षेत्र में प्रदूषण में उल्लेखनीय कमी आएगी। आरआरटीएस की अधिकांश ऊर्जा आवश्यकताओं को अक्षय स्रोतों के माध्यम से पूरा किया जाएगा। आरआरटीएस डिपो और स्टेशन भवनों में सौर ऊर्जा पैनल भी लगाए जाएंगे।
दुनियाभर में भारत एक ऐसे देश के रूप में जाना जाता है, जहाँ विश्व की सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाएँ होती हैं। सड़क यातायात की दृष्टि से भारत सबसे अधिक असुरक्षित माना जाता है। रेल आधारित यातायात के रूप में आर आर टी एस सर्वोत्तम कमांड और नियंत्रण पद्धति उपलब्ध करवाकर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में आवागमन का सुरक्षित और विश्वसनीय तरीक़ा प्रदान करेगी।
परिवहन के किसी अन्य साधन की अपेक्षा तीव्र रेल पद्धति के द्वारा कम समय में बड़ी संख्या में लोगों का आवागमन संभव होगा। आर आर टी एस के कारण यातायात का बोझ सड़कों पर कम पड़ेगा, उन पर अधिक जगह होने से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के राजमार्गों पर यातायात अधिक सुगम बनेगा।